Friday, October 28, 2005


"अभिव्यक्ति"
A Live-Magazine of IETians….
(Year:1 ,Vol.:3 ,November 2005)
Institure of Engineering & Technology, Alwar, India
दीप का संदेश है यह
प्रीत का अनुदेश है यह
हो प्रखर ज्योति निराली
यों मनायें हम दिवाली
दीप हम एसे जगाएँ
स्वप्न सोये जाग जाएँ
द्वेष-तम मिट जाए जग से
इस धरा पर प्रेम बरसे.

2 comments:

Kumar Padmanabh said...

http://www.freewebs.com/padmanabh

[b]http://www.freewebs.com/padmanabh [/b]

मै बहुत ही तन्मयता से इस ब्लोग अवलोकन करता आ रहा हूँ. लेकिन लगता है समय के साथ लोगोँ की उर्जा खतम होती जा रही है. इस अभिव्यक्ति मे कोइ नया अभिव्यक्ति नही जुड़ा है. आप पुछ सकते हैँ कि मै कौन हूँ ऐसा टिपण्णी करने वाला. तो बस इतना समझ लीजिए कि मैने आ0आ0टी खड़गपुर से अभी-अभी कम्प्युटर नेटवर्क पर पी0एच0डी0 खतम किया है. अभी Infosys Bangalore मे रीसर्च एसोशिएट पद पर काम कर रहा हूँ. साहित्य मे रुचि है इसीलिए आपके इस ब्लोग का विजिट किया. धन्यवाद के पात्र हैँ गुगल महोदय जिन्होने मुझे इस पर आने को प्रेरित किया. खैर यदि आप मेरे बारे मे जानकारी चाहते हैँ तो मेरे इस पेज का भ्रमण करना मत भुलिएगा..... http://www.freewebs.com/padmanabh

Anonymous said...

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